इसका पूरा नाम है ‘द नॉर्थ कोस्ट 500’. इसे दुनिया के 6 सबसे ख़ूबसूरत तटीय हाइवे की फ़ेहरिस्त में शामिल किया गया है.
ग्रेट ब्रिटेन का स्कॉटलैंड सूबा एक ठंडा और पहाड़ी इलाक़ा है. इन पहाड़ों में क़ुदरती ख़ूबसूरती के कई ख़ज़ाने छिपे हैं.
लेकिन मुश्किल रास्तों की वजह से यहाँ तक आम लोगों का पहुँचना मुश्किल होता था.
मक़सद- नए मौक़े पैदा करना
यहाँ के लोग बाहरी दुनिया से कटे रहते थे. इन इलाक़ों तक सैलानियों को पहुँचाने और स्थानीय लोगों के लिए कारोबार के नए मौक़े पैदा करने के मक़सद से ही साल 2015 में ये रूट बनाया गया था.
एनसी-500 का सफ़र इनवारनेसशायर काउंटी से शुरू होता है और ये ऊंचे-नीचे पहाड़ी इलाक़ों से होता हुआ आगे बढ़ता है.
रास्ते भर में बहुत से ख़ूबसूरत पहाड़, हरे-भरे मैदान और सफ़ेद चमचमाते समुद्री किनारे मिलते हैं.
एनसी-500 के आइडिया पर काम करने वाले टॉम कैंपबेल का कहना है कि जब वो इन पहाड़ी इलाक़ों में आये तो उन्हें लगा कि अगर एक अच्छा रास्ता बना दिया जाए तो इन इलाक़ों को टूरिज़म के लिहाज़ से विकसित किया जा सकता है.
इससे ना सिर्फ़ पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि रोज़गार के लिए जूझ रहे यहाँ के लोगों को कमाने के अच्छे मौक़े मिल जाएंगे.
25 फ़ीसद सैलानी बढ़े
टॉम कैंपबेल का अंदाज़ा बिल्कुल सही था. एनसी-500 बन जाने के बाद स्कॉटलैंड आने वाले सैलानियों की तादाद 25 फ़ीसद बढ़ गई है.
लॉन्ग ड्राइव के शौक़ीन अक्सर इस रास्ते पर फर्राटे से गाड़ी दौड़ाते नज़र आ जाते हैं. चूंकि ये रास्ता काफ़ी लंबा है, लिहाज़ा रास्ते में ठहरने के लिए कई होटल हैं.
इन होटल मालिकों का कहना है कि एनसी-500 बन जाने के बाद से उनकी आमदनी बढ़ गई है.
एनसी-500 पहाड़ों को काट कर बनाया गया है, लिहाज़ा कई जगह पर मोड़ बहुत तीखे हैं. रास्ते में एक बड़ा हिस्सा ऐसा भी आता है, जहाँ ड्राइव करना आसान नहीं होता.
इसीलिए यहाँ अक्सर हादसे भी हो जाते हैं. ऐसे हादसे एनसी-500 को बदनाम करते हैं.
इसके बावजूद इस रास्ते पर ट्रैफ़िक का दबाव बढ़ता जा रहा है. बड़ी बसें, मोटर-कारें संकरे मोड़ से गुज़रना मुश्किल कर देती हैं.
बढ़ता ट्रैफ़िक स्थानीय लोगों के लिए चिंता का विषय बन गया है.
कुछ दिक़्क़तें भी आईं
रास्ते में पड़ने वाले ऐपल क्रॉस-इन होटल की मालकिन का कहना है कि एक दौर था जब चंद लोग ही उनके होटल में ठहरने आते थे.
लेकिन एनसी-500 बन जाने के बाद सैलानियों की संख्या तेज़ी से बढ़ी है. इससे कमाई में इज़ाफ़ा तो हुआ, लेकिन दबाव भी काफ़ी बढ़ गया.
इस इलाक़े में सैलानियों की इतनी बड़ी तादाद के हिसाब से बुनियादी सुविधाएं जैसे होटल, मोटेल या रेस्ट्रॉन्ट नहीं हैं.
अब कम जगह में ज़्यादा लोगों के लिए बंदोबस्त करना पड़ता है. साथ ही कम जगह में ज़्यादा स्टाफ़ को लगाना पड़ता है.
एक दौर था जब सैलानियों को रेस्टोरेंट के अंदर टेबल पर हर चीज़ मुहैया कराई जाती थी, लेकिन अब भीड़ की वजह से रेस्टोरेंट के बाहर खुले में भी सैलानियों को बैठाना पड़ता है.
सैलानियों की संख्या बढ़ने से यहाँ की सड़कों पर भी दबाव बढ़ा है. उनकी हालत ख़स्ता होने लगी है.
लेकिन इसके बावजूद उन्हें ख़ुशी है कि उनकी आमदनी बढ़ रही है.
कहा जा सकता है एक रास्ते ने जहाँ सैलानियों के लिए एक नई दुनिया में दाख़िल होने के रास्ते खोले हैं, तो वहीं बहुत से लोगों के लिए आमदनी के अवसर भी पैदा किए हैं. एक रास्ते ने ना जाने कितने लोगों की ज़िंदगी बदल दी है.
सड़कें कैसे लोगों की ज़िंदगी बदल देती हैं, आर्थिक तरक़्क़ी को रफ़्तार देती हैं, एनसी-500 इसकी शानदार मिसाल है.